Population of India for UPSC and other competitive exam

आरएएस के सिलेबस के अंतर्गत भारत की जनसंख्या Population of India for UPSC and other competitive exam से जनसंख्या में वृद्धि, वितरण, घनत्व, लिंगानुपात, साक्षरता, नगरीय एवं ग्रामीण जनसंख्या आदि को शामिल किया गया है

भारत में विश्व की लगभग 17.5 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या 121 करोड़ है। यह भारत को चीन के बाद विश्व में द्वितीय सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बनाता हैं।

Table of content :

जनसंख्या वृद्धि

जनसंख्या वृद्धि का आकलन दशकीय वृद्धि के आधार पर किया जाता है। भारत में जनसंख्या वृद्धि को चार अवस्था में विभाजित करके देखा जा सकता है

पहला, मंद वृद्धि का काल
  • 1901 से 1921 के बीच दो दशकों के दौरान जनसंख्या अत्यंत मंद गति(0.27%प्रतिवर्ष) से बढ़ी।
  • 1901 में जनसंख्या जहां 23 करोड़ के आसपास थी वहीं 1921 में यह बढ़कर 25 करोड हो गई यद्यपि इस कालावधी में जन्म दर उच्च थी किंतु भीषण अकाल महामारी जैसी तनावग्रस्त परिस्थितियों के कारण मृत्यु दर उच्च थी।
  • इसी का परिणाम यह हुआ कि 1911 से 1921 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर नकारात्मक(0.31%) हो गई।
  • इसी कारण वर्ष 1921 को महान जनांकिकीय विभाजक कहा जाता है।
द्वितीय, स्थिर वृद्धि का काल :
  • यह काल 1921 से 1951 के दौरान तीन दशकों में देखा जाता है, जिसमें भारत की जनसंख्या 1.45 प्रतिशत की दर से बढ़कर 25 करोड़ से 36 करोड़ हो गई
  • इस कालावधी में अकाल एवं महामारी जैसे मुद्दों पर नियंत्रण प्राप्त कर लेने के कारण मृत्यु दर में गिरावट आई वही जन्म दर पूर्व दशकों के अनुरूप बनी रही
तीसरी अवस्था, तीव्र वृद्धि का काल
  • 1951 से 1981 के तीन दशकों के काल को तीव्र  वृद्धि का काल माना जाता है जिसमें जनसंख्या 2.9 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़कर 36 से 68 करोड हो गई|
  • इन दशकों के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं और पोषण संबंधी प्रयासों के कारण  जन्म दर और मृत्यु दर दोनों में गिरावट दर्ज की गई हालांकि जन्म दर की तुलना में मृत्यु दर में तीव्र गिरावट देखी गई
  • जिससे जनसंख्या में वृद्धि दर्ज की गई इसी कारण 1951 को द्वितीयक जनांकिकीय विभाजक  कहां जाता हैं
 चतुर्थ अवस्था, घटती  वृद्धि का काल
  • 1981 से 2011 के बीच यद्यपि जनसंख्या में वृद्धि दर्ज की गई लेकिन वृद्धि दर में गिरावट आई। पूर्व के तीन दशकों मैं 2.9 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर की तुलना में अब 2.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर दर्ज की गई।
  • इस दौरान जनसंख्या 68 करोड़ से बढ़कर 121 करोड़ हो गई।  इस दौरान परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता के कारण मृत्यु दर और जन्मदर दोनों में गिरावट दर्ज की गई और औसत वार्षिक घातीय वृद्धि पूर्व वर्षों की 2.2% की तुलना में घटकर 1.64% हो गयी।

भारत की जनसंख्या (population of India for UPSC/state PCS and all other exam)

2011 की जनगणना के अनुसार दशकीय वृद्धि दर

  • जनगणना 2011 के अनुसार 2001 से 2011 के बीच दशकीय वृद्धि दर 17.7% रही।

सर्वाधिक दशकीय वृद्धि दर वाले राज्य 

1.मेघालय27.9%
2.अरुणाचल प्रदेश26%
3.बिहार25.4%
4. जम्मू कश्मीर23.6%
5.मिजोरम 23.5%

सर्वाधिक दशकीय वृद्धि वाले संघ शासित प्रदेश

1.दादर नगर हवेली55.9%
2.दमन दीव53.8%
3.पुदुचेरी 28.1%
4. दिल्ली 21.2%
5.चंडीगढ़ 17.2%

न्यूनतम दशकीय वृद्धि दर वाले राज्य

1.नागालैण्ड 0.6%
2.केरल 4.9%
3.गोवा 8.2%
4.आंध्रप्रदेश 11%
5.हिमाचल प्रदेश 29%

न्यूनतम दशकीय वृद्धि दर वाले केंद्र शासित प्रदेश

1.लक्षद्वीप 6.3 %
2.अंडमान निकोबार 6.9%
3.चंडीगढ़ 17.2%
4.दिल्ली 21.2%
5.पुदुचेरी 28.1%

उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु छत्तीसगढ़ और पुदुचेरी मैं दशकीय वृद्धि दर में कमी की बजाए वृद्धि दर्ज की गई। दशकीय वृद्धि में सर्वाधिक कमी महाराष्ट्र में दर्ज की गई जबकि न्यूनतम कमी आंध्र प्रदेश में दर्ज की गई।

जनसंख्या वृद्धि दर के आधार पर भारत का विभाजन

  • पहला, अधिक जनसंख्या वृद्धि वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश– इसमें ऐसे राज्यों को शामिल किया जाता है जिनकी दशकीय वृद्धि दर 30% से अधिक रही है। इसमें दादर नगर हवेली और दमन दीव को शामिल किया जाता है।
  • मध्यम जनसंख्या वृद्धि वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश: इसमें उनको शामिल किया जाता है जिनकी दशकीय वृद्धि दर 20 से 30% के मध्य रही है इसके अंतर्गत यूपी एमपी राजस्थान बिहार झारखंड छत्तीसगढ़ अरुणाचल प्रदेश पुडुचेरी दिल्ली जैसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल किए जाते हैं।
  • कम जनसंख्या वृद्धि वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश: इसमें ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया जाता है जिनकी जनसंख्या वृद्धि दर 20% से कम रही है । इसमें असम बंगाल उड़ीसा हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड महाराष्ट्र कर्नाटक केरल पंजाब-हरियाणा अंडमान निकोबार लक्ष्यदीप अलीगढ़ सिक्किम मणिपुर नागालैंड आदि शामिल है

औसत दशकीय वृद्धि के आधार पर भारत के राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को दो प्रमुख वर्गों में विभाजित किया जा सकता है

  1. औसत दशकीय वृद्धि से अधिक वृद्धि वाले राज्य

इसके अंतर्गत उत्तराखंड हरियाणा दिल्ली दमन दीव नगर हवेली पुदुचेरी छत्तीसगढ़ एमपी राजस्थान झारखंड बिहार जम्मू कश्मीर मेघालय मणिपुर मिजोरम अरुणाचल प्रदेश आदि शामिल है।

2. औसत दशकीय वृद्धि से कम वृद्धि वाले राज्य:

इसमें हिमाचल प्रदेश तमिलनाडु अंडमान निकोबार केरल कर्नाटक त्रिपुरा पश्चिम बंगाल उड़ीसा आंध्रप्रदेश महाराष्ट्र असम गोवा कर्नाटक आदि शामिल है।

जनसंख्या का वितरण

भारत विविधताओं से भरा देश है जहां की भौगोलिक और जलवायु दशाएं व्यापक रूप से विविधता लिए हुए हैं जिसके कारण भारत में जनसंख्या का वितरण आसमान है। जहां यूपी बिहार पश्चिम बंगाल महाराष्ट्र तथा आंध्र प्रदेश जैसे 5 राज्य में 30% क्षेत्रफल पर लगभग 50 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है वहीं उत्तरी तथा उत्तर पूर्वी राज्यों में 16% क्षेत्र में केवल 4 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले कारक

भू आकृतिक दशाएं: 
  • किसी भी स्थान की स्थलाकृति वहां पर रहने वाली जनसंख्या की मात्रा को प्रभावित करती है जटिल और उबड़ खाबड़ क्षेत्रों की तुलना में समतल और मैदानी भागों में अधिक जनसंख्या निवास करती है इसका कारण यह है कि समतल और मैदानी भागों में कृषि योग्य भूमि, परिवहन, आर्थिक क्रियाएं और  संचार जैसी गतिविधियों में सहूलियत प्राप्त होती है। जो अधिक जनसंख्या को निवास करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

जलवायु: 

  • मनुष्य और उसकी विभिन्न क्रियाओं के लिए अनुकूल जलवायु का होना आवश्यक है जिन क्षेत्रों में चरम जलवायु पाई जाती है वहां आर्थिक क्रियाकलाप बाधित हो जाते हैं और मनुष्य की कार्य क्षमता में भी कमी आती है। इसी का परिणाम है की लद्दाख के ठंडे मरुस्थल और राजस्थान के शुष्क मरुस्थल में कम जनसंख्या बसावट है वही गंगा के मैदानी भागों में उचित जलवायु के कारण व्यापक जनसंख्या घनत्व पाया जाता है।

संसाधनों की उपस्थिति

  • इसके अंतर्गत मृदा, जल और खनिज संसाधनों को रख सकते हैं जिन क्षेत्रों में उपजाऊ मृदा पाई जाती है वहां पर जनसंख्या घनत्व उच्च पाया जाता है जैसे गंगा के मैदानी भाग में। 
  • वही जल भी मानव जीवन का अभिन्न अंग है। जिन क्षेत्रों में पर्याप्त जल स्रोतों की उपलब्धता है और पर्याप्त मात्रा में वर्षा होती है। वहां मानव जीवन एवं उससे जुड़े विभिन्न आर्थिक क्रियाकलाप अधिक समृद्ध होते हैं। प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक मानव बस्ती के विकास में जल संसाधन की उपलब्धता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है उदाहरण स्वरूप सिंधु घाटी सभ्यता।
  • इसके अलावा खनिज संसाधन की बात करें तो जिन क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में खनिज भंडार पाए जाते हैं वहां अधिक जनसंख्या घनत्व देखा जाता है इसका कारण है वहां पर उपलब्ध रोजगार के अवसर उदाहरण के लिए छोटा नागपुर का पठार जोकि खनिजों से समृद्ध है वहां जनसंख्या घनत्व उच्च पाया जाता है।

परिवहन सुविधाएं :

  • उबड़ खाबड़ क्षेत्रों की तुलना में मैदानी भागों में परिवहन सुविधाओं का विस्तार आसान है इसीलिए पर्वतों पहाड़ियों की तुलना में मैदानी भागों में अधिक सघन आबादी पाई जाती है

राजनीतिक व आर्थिक स्थिरता:

  • जनसंख्या के वितरण में इन दोनों कारकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिन देशों में राजनीतिक स्थिरता व असंतोष पाया जाता है वहां जनसंख्या भय के वातावरण में रहती है फल स्वरूप वहां से प्रवास की प्रवृत्ति पाई जाती है। उदाहरण के लिए बांग्लादेश में व्यापक स्थिरता के परिणाम स्वरूप पूर्वोत्तर राज्यों में व्यापक का प्रवास देखा गया।
  • वही आर्थिक रूप से समृद्धि क्षेत्र व्यापक जनसंख्या को आकर्षित करते हैं उदाहरण स्वरूप गुरुग्राम बेंगलुरु आदि । उल्लेखनीय है कि पूर्व में औद्योगिकरण के कारण नगरीकरण का जन्म हुआ।

भौगोलिक दृष्टिकोण से जनसंख्या का वितरण

इसके अंतर्गत जनसंख्या घनत्व को आधार मानकर विभिन्न क्षेत्रों का विभाजन किया जाता है इन्हें हम तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं सघन माध्यम और निम्न जनसंख्या वाले क्षेत्र।

सघन जनसंख्या वाले क्षेत्र: 

  • यह वह क्षेत्र है जहां पर मनुष्य के लिए सर्वोत्तम अनुकूल दशाएं पाई जाती हैं। इसके अंतर्गत मुख्यतः मैदानी क्षेत्रों को शामिल किया जा सकता है जैसे गंगा का मैदान और तटवर्ती मैदान। ये मैदानी क्षेत्र कृषि गतिविधियों, आसान परिवहन और पर्याप्त जल सुविधाओ के कारण बसावट के लिए उचित दशाएं निर्मित करते हैं। उच्च जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश बिहार पश्चिम बंगाल हरियाणा पंजाब दिल्ली चंडीगढ़ और प्रायद्वीपीय भारत के तटवर्ती मैदान शामिल है।

मध्यम जनसंख्या वाले क्षेत्र 

  • इसके अंतर्गत हम उन्हें क्षेत्रों को रख सकते हैं जो खनिज संसाधनों से समृद्ध होने के कारण मानव वास के लिए उचित वातावरण तैयार करते हैं । खनिज संसाधनों से समृद्ध होने के कारण क्षेत्रों में व्यापक औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलता है। परिणाम स्वरूप पश्च प्रभाव के रूप में यहां अनेक बस्तियों का विकास हुआ है। इसके अंतर्गत छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश और दक्षिणी पूर्वी राजस्थान आदि को शामिल किया जा सकता है।

निम्न जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र

  • इसके अंतर्गत उबड़ खाबड़ और प्रतिकूल जलवायु वाले क्षेत्र रख सकते हैं इन प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण यहां पर मानव निवास के लिए उचित विषय निर्मित नहीं होती हैं फल स्वरूप या कम जनसंख्या घनत्व पाए जाते हैं उदाहरण स्वरूप मरुस्थलीय क्षेत्र प्रायद्वीपीय भारत का वृष्टि छाया क्षेत्र और विभिन्न पर्वतीय क्षेत्र

जनसंख्या घनत्व

2011 की जनगणना के अनुसार भारत का औसत जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। राज्यों में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व बिहार का (1106 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर) है वही सबसे कम घनत्व अरुणाचल प्रदेश (17 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर) है।

संघ शासित प्रदेशों में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व दिल्ली का (11320 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर) वही सबसे कम जनसंख्या घनत्व अंडमान निकोबार (46 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर) है।

जनसंख्या घनत्व के आधार पर राज्यों का विभाजन

1.सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश
  • इसके अंतर्गत उनको रखा जाता है जींस का जनसंख्या घनत्व 900 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक है इसमें दिल्ली, चंडीगढ़, पुदुचेरी, लक्षद्वीप बिहार और पश्चिम बंगाल आदि शामिल है
2.उच्च जनसंख्या घनत्व वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश:
  • इसके अंतर्गत उन को शामिल किया जाता है जिनका जनसंख्या घनत्व 600 से 900 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। इसके अंतर्गत केरल, दादर नगर हवेली, उत्तर प्रदेश आदि को शामिल किया जाता है।
3.मध्यम जनसंख्या घनत्व वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश: 
  • इसके अंतर्गत 300 से 600 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों को रखा जाता है। इसके अंतर्गत पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गोवा, तमिलनाडु और  असम आदि को शामिल किया जाता है।
4.निम्न जनसंख्या घनत्व वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश:
  • इसके अंतर्गत उनको रखा जाता है जिनका जनसंख्या घनत्व 100 से 300 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। इसके अंतर्गत हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, नागालैंड, मेघालय, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और राजस्थान आदि को सम्मिलित किया जाता है।

2011 की जनगणना के अनुसार अधिकतम जनसंख्या घनत्व वाले राज्य

  1. बिहार -1106
  2. पश्चिम बंगाल – 1028
  3. केरल – 860
  4. यूपी – 829
  5. हरियाणा – 573

वही न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाले राज्य

  1. अरुणाचल प्रदेश – 17
  2. मिजोरम – 52
  3. सिक्किम – 86
  4. मणिपुर – 115
  5. नागालैंड – 119

वही केंद्र शासित प्रदेश के मामले में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व

  1. दिल्ली (11320)
  2. चंडीगढ़ (9258)
  3. पुडुचेरी (2547)
  4. दमनदीव (2191)
  5. लक्षद्वीप (2149)

वही न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाले केंद्र शासित प्रदेशों में

  1. अंडमान निकोबार (46)
  2. दादर नगर हवेली (700)
  3. लक्षद्वीप (2149)
  4. दमनदीप (2191) 

लिंगानुपात

2011 की जनगणना के अनुसार भारत का लिंगानुपात 943 है।

भारत में लिंगानुपात का इतिहास

भारत की जनसंख्या (population of India for UPSC/state PCS and all other exam)
  • 1920 से 1941 के बीच भारत में निरंतर लिंगानुपात में गिरावट देखी गई थी हालांकि 1951 के जनगणना में इसमें कुछ सुधार देखने को मिला लेकिन बाद पुन: इसमें गिरावट देखी गई।
  • 1991 के बाद सरकार के विभिन्न प्रयासों के कारण लिंगानुपात में वृद्धि दर्ज की गई किंतु 2011 की जनगणना के अनुसार लिंगानुपात 943 है जो 1991 के लिंगानुपात(946) की तुलना में कम है।
  • 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार, जम्मू कश्मीर, गुजरात, दमन दिउ, दादरा नगर हवेली और लक्षद्वीप में लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई।
  • 2011 की जनगणना के अनुसार सर्वाधिक लिंगानुपात वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश- केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी और लक्षद्वीप वही न्यूनतम लिंगानुपात वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश, दमन दीव, दादर नगर हवेली, चंडीगढ़, दिल्ली अंडमान निकोबार और हरियाणा।

बाल लिंगानुपात

  • इसके अंतर्गत 0- 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिंगानुपात का आकलन किया जाता है।
  • जहां 1961 में बाल लिंगानुपात 960 था जो बढ़कर 1971 में 964 हो गया। हालांकि उसके बाद लिंगानुपात में निरंतर कमी देखी गई है जो 1981 में 962, 1991 में  9045,  2001 में 933 और 2011 में घटकर 919 रह गया।
  • सर्वाधिक लिंगानुपात अरुणाचल प्रदेश में 972 वहीं हरियाणा में न्यूनतम 834 है।

ग्रामीण एवं शहरी जनसंख्या

  • भारत में 1931 नगरीय जनसंख्या की दृष्टि कोण से महत्वपूर्ण है। इससे पूर्व नगरीय जनसंख्या की वृद्धि दर प्राकृतिक वृद्धि के बराबर थी किंतु उसके बाद नगरीय जनसंख्या में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई। 
  • जहाँ 1931 में शहरी जनसंख्या 3.3 करोड थी वह बढ़कर 1991 में 21 करोड़ वहीं वर्तमान में 37.7 करोड़ को पार कर गई है। जो प्रतिशत के दृष्टिकोण से कुल जनसंख्या का 31.16% है।
  • औद्योगीकरण के कारण और विशेष कर 1991 के आर्थिक सुधारों ने नगरीकरण की प्रक्रिया को तीव्र किया।
  • सर्वाधिक शहरी जनसंख्या वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली चंडीगढ़ गोवा दमन दीव मिजोरम लक्षद्वीप तथा न्यूनतम सैलरी जनसंख्या हिमाचल प्रदेश बिहार असम उड़ीसा और मेघालय में पाई जाती है।
  • यदि प्रतिशत के दृष्टिकोण से देखें तो सर्वाधिक प्रतिशत गोवा (राज्य) तथा दिल्ली(केन्द्रशासित प्रदेश) में पाया जाता है।

ग्रामीण जनसंख्या

  • जनगणना 2011 के अनुसार देश में कुल गांव की संख्या 640867 है सर्वाधिक ग्रामीण जनसंख्या वाले राज्य हिमाचल प्रदेश बिहार असम उड़ीसा मेघालय उत्तर प्रदेश तथा अरुणाचल प्रदेश
  • ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त रोजगार के अभाव, उच्च शिक्षण संस्थाओं की कमी, परिवहन तथा संचार साधनों की कमी, कृषि को लाभकारी न रहने एवं लघु एवं कुटीर उद्योगों की समाप्ति के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर व्यापक प्रवास को बढ़ावा मिला है इसके परिणाम स्वरूप न केवल ग्रामीण लिंगानुपात में परिवर्तन आया है साथ ही शहरी क्षेत्रों में अनेक समस्याओं जैसे झुग्गी झोपड़ी, क्राइम आवासीय स्थानों की कमी, परिवहन, जल संसाधन पर दबाव आदि को देखा गया है।

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