POCSO Act detailed analysis for upsc and other competitive exams

बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन, जो 1992 में हुई, के भारत द्वारा अनुसमर्थन के परिणाम स्वरूप नवंबर 2012 में pocso act को लागू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों के प्रति बढ़ते यौन शोषण और यौन उत्पीड़न के अपराधों को संबोधित करना था। इसी संदर्भ में 2020 में पोक्सो नियमों को भी अधिसूचित किया गया है।

Table of contents

POCSO Act की विशेषताएं

  • इस एक्ट के अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु के सभी व्यक्तियों को बच्चों के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • इसमें यौन शोषण के मामलों के अंतर्गत मृत्यु दंड तक का प्रावधान किया गया है।
  • यह एक लिंग निष्पक्ष एक्ट है जिसमें लड़के और लड़कियां दोनों से जुड़े यौन शोषण के मामलों को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
  • इसके अंतर्गत नाबालिकों से जुड़े यौन दुर्व्यवहार के मामलों की रिपोर्ट मैं केवल व्यक्तियों द्वारा बल्कि संस्थाओं द्वारा भी की जा सकती है। इस एक्ट के तहत यौन अपराधों को किसी भी रूप में छिपाना विशिष्ट अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
  • भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत यौन उत्पीड़न से जुड़े अपराध को स्पष्ट शब्दों में परिभाषित किया गया है। इसके अतिरिक्त बाल पोर्नोग्राफी से जुड़ी किसी भी सामग्री का संग्रहण अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
  • इस एक्ट के तहत पीड़ित बच्चे का बयान दर्ज करने हेतु एक महिला उपनिरीक्षक का होना आवश्यक है।
  • इस एक्ट के तहत दर्ज मामले की जांच अपराध होने या अपराध की रिपोर्टिंग की तिथि से एक माह की अवधि के भीतर जांच होना आवश्यक है
  • इसके तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट के द्वारा अभियोजन के बयान को रिकॉर्ड करना अनिवार्य है

POCSO Rule,2020

पोक्सो एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए 2020 में केंद्र सरकार के द्वारा पोक्सो नियम लाए गए। इसके अंतर्गत किए गए प्रावधानों को अगर लिखि

  • इन नियमों के अंतर्गत बाल कल्याण समिति को जांच और परीक्षण प्रक्रिया के दौरान बच्चों की सहायता के लिए एक सहायक व्यक्ति प्रदान करने का अधिकार का प्रावधान किया गया है। यह सहायक व्यक्ति बच्चे के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक कल्याण, चिकित्सा देखभाल, परामर्श और शिक्षा आदि प्रयासों के माध्यम से सर्वोत्तम हित को सुनिश्चित करने हेतु जिम्मेदार होता है।
  • इसके अंतर्गत अंतरिम मुआवजा और विशेष राहत का प्रावधान किया गया है। इसके तहत एफआईआर दर्ज होने के बाद विशेष अदालत बच्चे के लिए राहत या पुनर्वास से संबंधित जरूरतों हेतु अंतरिम मुआवजे का आदेश देने का अधिकार प्रदान किया गया है।
  • इसके अतिरिक्त बाल कल्याण समिति भोजन, कपड़ा और परिवहन जैसी आवश्यक जरूरत हेतु तत्काल भुगतान की सिफारिश कर सकती है। यह भुगतान बाल कल्याण समिति की अनुशंसा के एक सप्ताह के अंदर किया जाना अनिवार्य है।

पोक्सो एक्ट से जुड़े मुद्दे/चुनौतियां

  • निर्धारित समय अवधि में जांच ना हो पाना- पर्याप्त संसाधनों के अभाव, फॉरेंसिक साक्ष्यों को प्राप्त करने में देरी या मामले की जटिलता के कारण निर्धारित समय अवधि एक माह के स्थान पर जांच में काफी देरी हो जाती है।
  • इस एक्ट में अभियोजन पक्ष पर कोई शर्त आरोपित नहीं की गई है। जिसके कारण न्यायालय को यह विचार करने की आवश्यकता होती है कि अभियुक्त ने पोक्सो एक्ट के तहत अपराध किया है। इसके कारण दोषसिद्धि की दर बहुत सीमित देखी जाती है।
  • इस एक्ट को लागू करने के संदर्भ में पर्याप्त संसाधनों की कमी देखी जाती है जैसे कानून परिवर्तन अधिकारियों और चिकित्सा पेशेवरों के लिए विशेष प्रशिक्षण का अभाव, बाल पीड़ितों की देखभाल और सुरक्षा के लिए पर्याप्त सुविधाओं का अभाव।
  • भारत में बाल शोषण से पीड़ित को अक्सर सामाजिक कलंक और बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। जो दुर्व्यवहार की रिपोर्ट करने से हतोत्साहित करता है।
  • इस एक्ट के तहत किशोर पीड़ितों के लिए आयु निर्धारण का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इसके कारण अधिकांश मामलों में जांच अधिकारियों द्वारा स्कूल प्रवेश त्याग रजिस्टर में दर्ज जन्मतिथि का उपयोग किया जाता है। हालांकि जनरैल सिंह बनाम हरियाणा राज्य वाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदत्त वैधानिक प्रावधानों को अपराध के शिकार हुए किसी बच्चे के लिए उसकी आयु निर्धारित करने में सहयोगी आधार बनाया जाना चाहिए।
  • इस एक्ट के तहत महिला उप निरीक्षक द्वारा प्रभावित बच्चे का बयान दर्ज करने का प्रावधान व्यावहारिक रूप से सम्भव नहीं हो पता है। क्योंकि पुलिस बलों में महिलाओं की संख्या मात्र 10% है।
  • अधिकांश मामलों में न्यायिक मजिस्ट्रेट के द्वारा रिकॉर्ड किए गए बयानों को कोई विशेष महत्व नहीं दिया जाता है। अधिकांश मामलों में न्यायिक मजिस्ट्रेट को मुकदमे के दौरान पूछताछ के लिए ना तो बुलाया जाता है और ना ही बयान से मुकरने करने वालों के लिए किसी प्रकार के दंड का प्रावधान किया गया है।

सुझाव/आगे की राह

  • जांच के दौरान पर्याप्त संसाधनों की कमी, साक्ष्य प्राप्त करने में देरी जैसे मामलों का समाधान किया जाना चाहिए। इसके लिए जांच एजेंसी को कुशल मानव संसाधन और तकनीकी से युक्त किया जाना चाहिए।
  • किशोर पीड़ितों की आयु निर्धारण संबंधित मुद्दे के समाधान हेतु पोक्सो एक्ट में संशोधन कर आयु संबंधित स्प्ष्ट प्रावधान किए जाने चाहिए।
  • मामलों की सुनवाई और तीव्र निपटान हेतु विशेष अदालत की स्थापना की जानी चाहिए। जो बाल अपराधों के प्रति संवेदनशीलता को सुनिश्चित करेगा।
  • पोक्सो एक्ट के बारे में सरकार को मीडिया, स्कूलों और सामुदायिक संगठनों जैसे विभिन्न चैनलों के माध्यम से जागरूकता अभियान शुरू करने चाहिए। इससे बाल अपराधों की रिपोर्टिंग को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • बाल यौन शोषण और अपराध से जुड़े मामलों से निपटने हेतु संबंधित सभी हितधारकों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। इसके अंतर्गत पीड़ितों का बयान लेने, साक्ष्य एकत्र करने और पीड़ितों को सहायता प्रदान करने जैसे विशेष शामिल होने चाहिए।

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