प्रिय विद्यार्थी, इस लेख में आप Indus Valley or harappan civilization का अध्ययन करेंगे | indus Valley or harappan civilization भारत की सबसे प्राचीनतम नगरीय सभ्यता है|
Table of content
- 1. सिंधु घाटी सभ्यता की कालावधि/समय/काल
- 2. सिंधु घाटी सभ्यता के क्षेत्रीय विस्तार
- 3. सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल (Important place of Indus Valley or harappan civilization)
- 4.सिंधु घाटी सभ्यता में नगर नियोजन प्रणाली
- 5.सिंधु घाटी सभ्यता में राजनीतिक जीवन
- 6.सिंधु घाटी सभ्यता काल के लोगों का सामाजिक जीवन
- 7.सिंधु घाटी सभ्यता काल के लोगों का आर्थिक जीवन
- 8.सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों का धार्मिक जीवन
- ( Arts of Indus Valley or harappan civilization):
- 10. सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि
- 11.सिन्धुवासी लोगों की वेशभूषा(Indus Valley or harappan civilization)
- 12.सिन्धुवासी लोगों सौंदर्य प्रसाधन सामग्री
- 13.सिन्धु घाटी के लोगों के मनोरंजन के साधन
- 14. सिन्धु घाटी सभ्यता में औषधियां
- 15.सिंधु घाटी घाटी सभ्यता का पतन
- सिंधु घाटी सभ्यता संबंधी प्रश्न और उत्तर
1. सिंधु घाटी सभ्यता की कालावधि/समय/काल
सिंधु घाटी सभ्यता के तीन चरण
- प्रारंभिक हड़प्पा या प्राक् हड़प्पा : 3200 ई. पू. से 2600 ई. पू.
- हड़प्पा या परिपक्व हड़प्पा सभ्यता : 2600 ई. पू. से 1900 ई. पू.
- उत्तरवर्ती हड़प्पा या परवर्ती हड़प्पा सभ्यता: 1900 ई. पू. से 1300 ई. पू.
2. सिंधु घाटी सभ्यता के क्षेत्रीय विस्तार
- इस सभ्यता का विस्तार भारतीय उपमहाद्वीप के लगभग 13 लाख वर्ग किमी के क्षेत्रफल में त्रिभुजाकार आकृति में था।
- उत्तर में ‘मांडा’ (जम्मू कश्मीर) से दक्षिण में ‘दैमाबाद’ (महाराष्ट्र) तक तथा पूर्व में ‘आलमगीरपुर’ (उत्तरप्रदेश) से पश्चिम में ‘सुत्कागेंडोर’ (पाकिस्तान) तक।
- सिन्धु घाटी सभ्यता का विस्तार 7 राज्यों में था – राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर
3. सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल (Important place of Indus Valley or harappan civilization)
हड़प्पा :
- अवस्थिति- मोंटगोमरी जिला, पंजाब, पाकिस्तान में ।
- नदी -रावी नदी
- सबसे पहला उत्खनन कार्य यही किया गया।
- जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्ति -1826 – चार्ल्स मेसन- हड़प्पा के टीले से जुड़ी जानकारी दी । 1921- दयाराम साहनी के नेतृत्व में विधिवत खुदाई।
- यहाँ‘कब्रिस्तान एच’ की प्राप्ति।
- एक विशाल अन्नागार के साक्ष्य । इसमें 2 पंक्तियों में कुल 12 विशाल कक्ष निर्मित।
- पीतल की इक्का गाड़ी की प्राप्ति।
- स्त्री के गर्भ से निकलते हुए पौधे वाली एक मृण्मूर्ति की प्राप्ति।
- सबसे अधिक अभिलेख युक्त मुहरों की प्राप्ति।
धौलावीरा :
- अवस्थिति – कच्छ जिला (गुजरात)।
- नदियां- मानहर व मानसर नदियां।
- यहां नगर विभाजन तीन हिस्सों में।
- कृत्रिम जलाशय या बांध के साक्ष्य।
मोहनजोदड़ो :
- शाब्दिक अर्थ- ‘मृतकों का टीला’।
- अवस्थिति- लरकाना जिला, सिंध, पाकिस्तान में
- नदी- सिंधु नदी।
- व्यक्ति- 1922 ई. – राखाल दास बनर्जी के नेतृत्व में उत्खनन ।
- विशाल स्नानागार के साक्ष्य ।
- सड़कें ग्रिड प्रारूप में बनी हुई।
- विशाल अन्नागार की उपस्थिति।
- सर्वाधिक मुहरों की प्राप्ति।
- कांसे की नर्तकी की मूर्ति,
- मुहर पर अंकित पशुपति नाथ की मूर्ति।
- सूती कपड़ा और उसकी छाप ।
- अलंकृत दाढ़ी वाला पुजारी।
चन्हूदड़ो :
- अवस्थिति- पाकिस्तान में
- नदी- सिंधु नदी।
- उत्खनन कार्य- 1935 में अर्नेस्ट मैके के नेतृत्व में।
- शहरीकरण का अभाव।
- चन्हूदड़ो में मनके निर्माण का कार्य किया जाता था।
- सिंधु घाटी सभ्यता का औद्योगिक केंद्र माना जाता है ।
- एक मात्र स्थल जहां से वक्राकार ईटों के साक्ष्य ।
कालीबंगा :
- अवस्थिति – हनुमानगढ़ जिला, राजस्थान।
- नदी- सरस्वती नदी।
- खोज – 1953 – अमलानंद घोष द्वारा।
- जुते हुए खेत के साक्ष्य
- अग्नि कुंड के साक्ष्य ।
- जल निकासी प्रणाली के साक्ष्य नहीं।
- बेलनाकर मुहरों की प्राप्ति,
- अलंकृत ईंटों के साक्ष्य।
लोथल :
- अवस्थिति- अहमदाबाद( गुजरात)
- नदी- भोगवा नदी।
- खंभात की खाड़ी के अत्यंत नजदीक स्थित।
- खोज- 1957 – एस. आर. राव द्वारा।
- एक प्रमुख बंदरगाह स्थल। एक विशाल गोदी बाड़ा की प्राप्ति।
- धान व बाजरे के साक्ष्य।
- तीन युगल समाधियों के साक्ष्य।
4.सिंधु घाटी सभ्यता में नगर नियोजन प्रणाली
- नगर नदियों के किनारे बसे थे। नदियों से नगर की सुरक्षा हेतु चारदीवारी के निर्माण के साक्ष्य।
- नगर योजना ग्रिड प्रारूप ( जाल पद्धति) पर आधारित ।
- नगर दो हिस्सों में विभाजित-
- ‘पश्चिमी टीला’ , जिसे ‘दुर्ग’ कहा जाता था ।
- ‘पूर्वी टीला’ जिसे ‘निचला नगर’ कहा जाता था ।
- सड़कें समकोण पर काटती थीं।
- जल निकासी की समुचित प्रणाली।
- निर्माण हेतु पक्की ईंटों का प्रयोग।
- प्रत्येक घर में एक रसोई घर और एक स्नानागार।
- बहुमंजिला इमारतों के साक्ष्य।
5.सिंधु घाटी सभ्यता में राजनीतिक जीवन
- लिखित साक्ष्यों के अभाव में सिंधु सभ्यता कालीन राजनीतिक स्थिति का निर्धारण करना अत्यंत कठिन।
- खुदाई से प्राप्त विभिन्न साक्ष्यों के आधार पर तत्कालीन राजनीतिक जीवन का अनुमान लगाया जाता है।
- सिंधु सभ्यता अनुमानित रूप से 600 वर्षों तक निरन्तर कायम रही जो इस बात की और संकेत करता है कि यहाँ अवश्य ही केन्द्रीय राजनीतिक संगठन रहा होगा।
- आर. एस. शर्मा के अनुसार सिंधु सभ्यता में सर्वाधिक बल वाणिज्य और व्यापार पर था । जो संकेत करता है कि हड़प्पा सभ्यता का शासन सम्भवतः “वणिक वर्ग” के हाथों में था।
- हंटर के अनुसार- धार्मिक एकरूपता तथा समान ढांचागत व्यवस्था जनतान्त्रिक पद्धति की और संकेत करती है।
- नगर के ऊंचे हिस्से में स्थित दुर्ग एक प्रशासक वर्ग की उपस्थिति को दर्शाता है।
- नगर के योजनाबद्ध निर्माण से अनुमान लगाया जा सकता है, कि नगरपालिका जैसी कोई संस्था अवश्य कार्यरत रही होगी।
- सिंधु सभ्यता से किसी भी हथियार की प्राप्ति न होना इस बात की और संकेत करती है कि यहां के निवासी शांति प्रिय थे, और उनका राजनीतिक जीवन भी शांतिपूर्ण रहा होगा।
6.सिंधु घाटी सभ्यता काल के लोगों का सामाजिक जीवन
- मातृसत्तात्मक समाज क्योंकि यहां सबसे अधिक नारी मृण्मूर्तियां मिली है।
- समाज चार वर्गों में विभक्त – विद्वान, योद्धा, श्रमिक और व्यापारी।
- शाकाहारी और माँसाहारी।
- ऊनी और सूती वस्त्रों का प्रयोग।
- आभूषण- पुरुष और महिलाएँ, दोनों पहनते थे।
- तलवार, ढाल, शिरस्त्राण, कवच इत्यादि के साक्ष्य नही।
- सती प्रथा का प्रचलन- लोथल से तीन युगल शवाधान तथा कालीबंगा से एक युगल शवाधान की प्राप्ति इसकी और संकेत करते हैं।
7.सिंधु घाटी सभ्यता काल के लोगों का आर्थिक जीवन
कृषि
- सिन्धु सभ्यता के लोगों को कुल 9 फसलें ज्ञात थी जिसमे चावल ( लोथल से चावल के अवशेष तथा रंगपुर से धान की भूसी के साक्ष्य) , मटर, खजूर, अनार , सरसों, जौ, राई, तिल, गेंहू इत्यादि शामिल हैं ।
- जौ की दो किस्मे( बनावली से बढ़िया किस्म का जौ प्राप्त हुआ है) और गेंहू की तीन किस्मे प्रचलित थी।
- मोहनजोदड़ो और बनवाली से मिट्टी के हल के खिलौने प्राप्त हुए है।
- कालीबंगा से जुते हुए खेत और एक साथ दो फसलें बोए जाने के साक्ष्य ।
- लोथल- आटा पीसने हेतु “पत्थर की चक्की के दो पाट” के साक्ष्य।
- सूती कपड़े के साक्ष्य जो दर्शाता है कि कपास की खेती की जाती थी। विश्व मे कपास की कृषि का सबसे प्राचीनतम साक्ष्य “मेहरगढ़” से ।
पशुपालन
- पशुओं में बैल, ऊंट, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर, हाथी, कुत्ते, बिल्ली गधे आदि पालते थे।
- घोड़े की उपस्थिति के सीमित साक्ष्य प्राप्त हुए है हालांकि पालने के साक्ष्य प्रमाणित नहीं हो सके हैं। गुजरात के सुरकोटडा से घोड़े के अस्थिपंजर, लोथल से घोड़े की हड्डियां और राणाघुंडई से घोड़े के दाँत के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं ।
- ऊंट की हड्डियां बड़ी संख्या में प्राप्त हुई हैं।
व्यापार और उद्योग-धंधे (Indus Valley or harappan civilization)
- कांसा बनाने हेतु तांबे और टिन को क्रमशः 9:1 के अनुपात में मिश्रित किया जाता था।
- तांबा खेतड़ी (राजस्थान) से तथा टिन अफगानिस्तान से आयात किया जाता था।
- लोहे के प्रयोग से परिचित नहीं।
- आंतरिक और बाह्य व्यापार समृद्ध अवस्था में। विदेशों में सिंधु घाटी सभ्यता के व्यापारी “मेलुहा” के नाम से जाने जाते थे।
- लोथल से फारस की मुहरें तथा कालीबंगा से बेलनाकर मुहरें प्राप्त हुई हैं।
- खेतों में सिंचाई के लिए तालाब, नदी और वर्षा के जल आदि का प्रयोग।
- अनाज रखने के लिए विशाल अन्नभंडार की प्राप्ति।
- बाट और नाप तौल- शायद सिन्धु निवासी धातु से बनी तराजू का उपयोग करते थे। तौल में 16 और उसके आवर्तकों (32, 64,160…) का प्रयोग किया जाता था।
8.सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों का धार्मिक जीवन
- धार्मिक के सन्दर्भ में जानकारी पूर्णत: पुरातात्विक साक्ष्यों पर आधारित है।
- खुदाई में कोई मन्दिर या मन्दिर जैसी संरचना नही मिली है।
- हालांकि खुदाई में प्राप्त विभिन्न मूर्तियों ,मुहरों औऱ ताबीज आदि से उनके धार्मिक जीवन का विश्लेषण किया जाता है।
- लिंग और योनि की उपासना । हड़प्पा मोहनजोदड़ो और लोथल जैसे अनेक स्थलों से खुदाई में लिंग और योनि के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। इसे ईश्वर की सृजनात्मक शक्ति का द्योतक माना जा सकता है।
- प्रकृति के उपासक: सिंधु वासी जल, अग्नि, सूर्य आदि के उपासक थे।
- वृक्षों तथा पशुओं की पूजा। जहाँ वृक्षों में पीपल, महुआ, तुलसी की वहीं पशुओं में कूबड़ वाला सांड तथा सांप की उपासना की जाती थी।
- इसके अलावा प्राप्त विभिन्न ताबीज और मुहरों पर छाप से पता चलता है कि वे भूत-प्रेत व जादू-टोने में भी विश्वास रखते थे।
- मातृ देवी की अनेक मूर्तियां प्राप्त जिससे अन्दाज लगाया जाता है कि वे मातृदेवी के उपासक थे। उन्हें आभूषण के साथ या कुछ में आभूषण रहित दर्शाया गया है।
- पशुपति या शिव की उपासना- कुछ मोहरों पर 3 सिर एवं दो सिंग वाले देवता की छाप जो कि एक बाघ एवं हाथी और एक गेंडे से घिरा हुआ है, जिसके सिहासन के नीचे एक भैंस तथा पैरों के नीचे दो हिरण दर्शाए गए हैं।
- मोहनजोदड़ो से मुहर पर स्वस्तिक का चिन्ह।
9.सिंधु घाटी सभ्यता की कलाएं( Arts of Indus Valley or harappan civilization):
- मृदभांड के अनेक साक्ष्य: इन्हें चाक पर बनाया जाता था। अनेक प्रकार की कलाकृतियों का निर्माण के साक्ष्य । इन पर पशुओं, प्रकृति और मनुष्यों के चित्र पाए गए हैं।
- मुहरें- मुख्यतः सेलखड़ी से निर्मित। हालांकि विभिन्न धातुओं से बनी मोहरों भी प्राप्त हुई हैं। इन पर भैंस तथा गैंडे के चित्र।
- हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई से वर्गाकार और आयताकार ताम्रपत्र की प्राप्ति। इन पर एक तरफ मनुष्य अथवा पशु की आकृति है तो दूसरी तरफ कुछ लेख लिखे गए हैं।
- आभूषण निर्माण- कीमती पत्थरों की कटाई छंटाई द्वारा सुंदर आभूषण का निर्माण। इसके अतिरिक्त सोने व चांदी के आभूषणों का निर्माण भी ।
- चांदी पीतल तथा तांबे से अनेक वस्तुओं का निर्माण।
10. सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि
- यद्यपि सिंधु वासियों को लिपि का ज्ञान था, तथापि आज तक इसे पढा नहीं जा सका है।
- लिपि का विचार सर्वप्रथम अलेक्जेंडर कनिघम द्वारा किया गया।
- पढ़ने का विचार सर्वप्रथम एल ए वेंडल द्वारा
- सिन्धु घाटी सभ्यता की लिपि दाएं से बाएं लिखी जाती थी।
- लिपि भावचित्रात्मक थी। इनमें लगभग 400 वर्ण थे। वर्णों के साथ- साथ संकेतात्मक चित्रों (चिड़िया, मानव और मछली की आकृति) का प्रयोग किया जाता था।
11.सिन्धुवासी लोगों की वेशभूषा(Indus Valley or harappan civilization)
- सिंधु सभ्यता की खुदाई से कपड़ा की प्राप्ति नहीं हुई हैं।
- मूर्तियों से प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर कह सकते हैं कि शरीर पर दो कपड़े धारण किए जाते थे। ऊपर शर्ट जैसा वही नीचे धोती जैसा कपड़ा।
12.सिन्धुवासी लोगों सौंदर्य प्रसाधन सामग्री
- सिंधु सभ्यता में स्त्री व पुरुष दोनों की ही सौंदर्य प्रसाधन में रुचि थी।
- आभूषण सोने, चाँदी एवं माणिक्य से निर्मित थे।
- खुदाई में दर्पण (कांसे के), कंघी और सुइयां (हाथी दांत की) ,सूरमा, सिंदूर (नौसारो से साक्ष्य) तथा पाउडर आदि सामग्री प्राप्त हुए हैं ।
- हड़प्पा से एक श्रृंगारदान पेटी की प्राप्ति ।
- चन्हूदड़ो से अंजनशालिका तथा लिपिस्टिक की प्राप्ति।
13.सिन्धु घाटी के लोगों के मनोरंजन के साधन
- प्रमुख मनोरंजन के साधन- शिकार करना , नाचना, गाना, बजाना, जुआ खेलना तथा मुर्गों की लड़ाई देखना आदि।
- बच्चों के मनोरंजन के लिए विभिन्न प्रकार के खिलौनों के निर्माण के साक्ष्य।
14. सिन्धु घाटी सभ्यता में औषधियां
- सिंधु निवासी विभिन्न औषधियों से परीचित।
- शिलाजीत, हिरण और बारहसिंगा के सींग, नीम की पत्ति आदि का औषधियों के रूप में प्रयोग।
- कालीबंगा एवं लोथल से चिकित्सा व्यवस्था के साक्ष्यों की प्राप्ति।
15.सिंधु घाटी घाटी सभ्यता का पतन
- पतन के संबंध में विभिन्न विद्वानों में एकमत का अभाव।
- पहला मत- आर्य आक्रमण, इसके समर्थको में गार्डन चाइल्ड, पिग्गट महोदय, मॉर्टिमर व्हीलर जैसे विद्वानों का नाम शामिल है , लेकिन वर्तमान में यह मत वैध नहीं।
- इसके अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप, बाढ़ और सूखा, पारिस्थितिकी असंतुलन, प्रशासनिक शिथिलता आदि को सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के लिए उत्तरदायी कारक माना जाता हैं।
- नदियों द्वारा मार्ग बदला जाना
- भीषण आग
सिंधु घाटी सभ्यता संबंधी प्रश्न और उत्तर
Indus Valley or harappan civilization
Q.1 सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज कब और किसके नेतृत्व में हुई ?
1921 में दयाराम साहनी के नेतृत्व में।
Q.2 सिंधु घाटी सभ्यता कहाँ पर अवस्थित है?
वर्तमान पाकिस्तान, अफगानिस्तान और भारत मे।
इसके प्रमुख स्थल हड़प्पा, मोहन जोदड़ो, चन्हूदड़ों, लोथल, धोलावीरा, कालीबंगा आदि है।
Q.3 सिंधु घाटी सभ्यता का दूसरा नाम क्या है?
सिंधु घाटी सभ्यता की खोज सर्वप्रथम हड़प्पा नामक स्थान पर होने के कारण इसे हड़प्पा संस्कृति भी कहा जाता है।
Q. 4 सिंधु घाटी की सभ्यता के लोग किस देवता की पूजा करते थे?
पशुपति या भगवान शिव की।
Q.5 सिंधु सभ्यता कितनी बड़ी (क्षेत्रफल और जनसख्या) थी?
अनुमानित कुल जनसंख्या 5 मिलियन से ऊपर , और इसका क्षेत्रफल 900 मील या 1,500 किमी।
Q.6 सिंधु घाटी के लोग कैसे थे?
सभ्य, स्वच्छता प्रेमी (नालियों का ढांचा) और शांतिप्रिय(युद्ध के साक्ष्य नही)
Q. 7 मोहनजोदड़ो की खोज कब और किसके द्वारा की गई थी?
प्रसिद्ध इतिहासकार राखलदास बनर्जी के नेतृत्व में 1922 में ।
Q.8 भारत में कुल कितनी सभ्यता थी?
भारत मे कुल 6 सभ्यताएं विकसित हुई।
Q. 9 सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त मूर्ति कौन सी है ?
मोहनजोदड़ो से कांस्य की नर्तकी की मूर्ति प्राप्त हुई है।
Q.10 सिंधु घाटी सभ्यता का अंत कैसे हुआ?
आर्यों के आक्रमण से(वर्तमान में मान्य नही), प्राकृतिक आपदा से या मौसम में हुए बदलाव से।
Q.11 सिंधु घाटी सभ्यता का पतन कब हुआ?
लगभग 1800 ई. पू. में
Q.12 सिंधु घाटी की सभ्यता में कितने नगर थे?
सिन्धु घाटी सभ्यता में कुल 6 को नगर का दर्जा दिया गया है। जिसमें शामिल हैं-हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा और राखीगढ़ी ।
Q.13 सिंधु घाटी सभ्यता में कुल कितने स्थल हैं?
अभी तक 96 स्थलों की खुदाई की गई है।
Q.14 हड़प्पा का आविष्कार या खोज या संस्थापक किसने किया था?
1921 में दयाराम साहनी के नेतृत्व में।
Q. 15 सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का मुख्य भोजन क्या था?
वे शाकाहारी और मांसाहारी दोनों थे।
Q.16 सिन्धु घाटी सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता क्यों कहा जाता है या सिंधु घाटी सभ्यता का नाम कैसे पड़ा?
इसका विकास सिंधु और उसकी सहायक नदियों के क्षेत्र में हुआ है, इस कारण से इसे सिन्धु घाटी सभ्यता कहा जाता है।
Q.17 सिंधु सभ्यता में पवित्र जानवर कौनसा था?
सांड
Q.18 मोहनजोदड़ो और हड़प्पा क्या है?
सिन्धु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण नगरीय स्थल
Q.19 मोहनजोदड़ो कहाँ स्थित है?
पंजाब (पाकिस्तान)
Q.20 भारत की प्रथम सभ्यता कौनसी है?
सिन्धु घाटी सभ्यता
Q.21 हड़प्पा यासिंधु घाटी की मुहर किसकी बनी होती थी?
सेलखड़ी की
Q.22 सिंधु घाटी के लोग की अंतिम संस्कार की विधि या कैसे करते थे?
तीन विधियों से
- पूर्ण समाधि या दफनाना-कब्रों से आभूषण, बर्तन और पालतू जानवर दफनाने के साक्ष्य। पुनर्जन्म में विश्वास। रोपड़ में मालिक के साथ कुत्ता दफनाने का साक्ष्य।
- दाह संस्कार- शव को जलाकर उसकी राख और अस्थियों को कलश में रखकर भूमि में गाड़ दिया जाता था। ऐसे अनेक कलश प्राप्त हुए है।
- आंशिक समाधि- जानवरो को खाने के लिए खुले में छोड़ देना। बाद में अस्थियों को पात्र में रखकर भूमि में गाड़ देना।
Q.23 हड़प्पा के लोग कौन थे?
हड़प्पा सभ्यता के लोग शहरी थे।
Q.24 विश्व की सबसे बड़ी सभ्यता?
सिन्धु घाटी सभ्यता।
Q.25 सबसे पुरानी संस्कृति कौन सी है?
सुमेरीयन सभ्यता को विश्व में सबसे पुरानी सभ्यता है माना जाता है। जिसका समय ईसा से 3500 वर्ष पूर्व माना जाता है।
Q.26 सिंधु घाटी सभ्यता के नगर एवं भवन निर्माण की विशेषता बताएं।
- नगरों का निर्माण नदियों तट के नजदीक।
- सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती हैं । अधिकांश सड़कें 10 मी. से अधिक चौड़ी।
- सड़कों के किनारे अनेक स्थानों पर कूड़ेदान रखे जाते थे।
- नालियों का व्यापक जाल बिछा हुआ था । सड़क के दोनों और नीचे गहरी नालिया बनी हुई थी।
- स्नानागार सिंधु घाटी सभ्यता की एक मुख्य विशेषता है, मोहनजोदड़ो से विशाल स्नानागार प्राप्त हुआ है।
- अनेक जगह अन्नभंडार के साक्ष्य।
Q.27 . सिन्धु घाटी सभ्यता का सामाजिक जीवन
लिखित साक्ष्यों के अभाव में कारण सिंधु घाटी सभ्यता के सामाजिक संगठन, परिवार प्रणाली, जाति प्रथा को लेकर अनेक मत देखे गए हैं। समाज को मातृसत्तात्मक माना जाता है। विद्वानों का मानना है कि समाज चार वर्गों में विभक्त था- विद्वान, योद्धा, श्रमिक और व्यापारी।
Q.28 सिंधु कालीन समाज की संरचना
विद्वानों के अनुसार सिंधु कालीन समाज चार वर्गों में बांटा हुआ था- विद्वान, योद्धा, श्रमिक और व्यापारी ।
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